Powered by Blogger.

Saturday, 5 October 2024

जिनके ज़ुल्मों को हम सह गए।

जिनके ज़ुल्मों को हम सह गए

वो हमें बेवफ़ा कह गए।


ख़्वाब वो मिलके देखे हुए

आँसुओ में सभी बह गए।


तुम न आये नज़र दूर तक

राह हम देखते रह गए।


रो पड़ा गांव में जा के मैं

मेरे पुश्तेनी घर ढह गए।


ज़िंदगी के हर एक मोड़ पर

ज़ख्म जलते हुए रह गए।


मुंतज़िर ढाल कर शेर में

अपनी बातों को क्यों कह गए।


NEXT ARTICLE Next Post
PREVIOUS ARTICLE Previous Post
NEXT ARTICLE Next Post
PREVIOUS ARTICLE Previous Post
 

About

Delivered by FeedBurner