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Thursday 5 July 2018

तुझको जीवन से जाने न दूंगा कभी | ग़ज़ल | मोहित नेगी मुंतज़िर

तुझको जीवन से जाने न दूंगा कभी
हाथ  फैला  न  ख़ैरात  लूंगा  कभी।

मेरी  हसरत  है  ऊंचाई   दूंगा  तुझे
ज़ीस्त में कुछ अगर कर सकूँगा कभी।

हम ज़बां पा के जो बात कह ना सके
उसको कह जाता है कोई गूंगा कभी।

मेरे  तेवर  से  पहचान  लोगे  मुझे
अपने तेवर बदल ना सकूँगा कभी।

टालता है यूँ घर चलने की बात वो
अब नहीं बाद में घर चलूंगा कभी।

© मोहित नेगी मुंतज़िर
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