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Saturday, 5 October 2024

जब हमें तुम याद आये रात भर

जब हमें तुम याद आये रात भर

आँसुओ ने ग़म बहाये रात भर।


ख़्वाब कितने ही सजाये रात भर

जिनको चाहा वो ना आये रात भर।


एक सूरज ढल गया जब शाम को

चाँद तारे मुस्कुराये रात भर।


कल मुझे इक फूल पन्नों में मिला

दिन पुराने याद आये रात भर।


जिनके प्रियतम दूर थे परदेस में

चाँदनी ने दिल जलाये रात भर।


कहते हैं जो किस्मतों का खेल है

ख़्वाब उनको क्यों जगाये रात भर।



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